
आंकड़ों में गांव


What's Inside
रिपोर्ट के लिए कृपया यहाँ क्लिक कीजिए। कृषि योग्य भूमि के मामले में भारत दुनिया भर में दूसरा स्थान रखता है; भारत के पास कृषि योग्य भूमि 156.07 मिलियन हेक्टेयर है। अनाजों के उत्पादन के मामले में भारत का तीसरा स्थान है। मूंगफली, फल, सब्जी, गन्ना और चाय के संदर्भ में दूसरा; जूट उत्पादन के मामले में भारत पहले स्थान पर आता है। दुनिया भर में, वर्ष 2019 तक भैंस व बकरियों की सबसे अधिक आबादी भारत में है। दुग्ध उत्पादन की दृष्टि से देखें तो भारत पहले स्थान पर आता है।
क्या है ये रिपोर्ट? एनएसओ, कृषि एवं संबंधित क्षेत्रों का हरेक वित्तीय वर्ष के लिए लेखा–जोखा पेश करता है। इस बार "State-wise and item-wise value of output from Agriculture, forestry and fishing year: 2011-12 to 2020-21" शीर्षक के साथ पिछले एक दशक का लेखा–जोखा पेश किया है। रिपोर्ट के लिए कृपया यहाँ क्लिक कीजिए।
रिपोर्ट की प्रमुख बातें— पिछले दशक (2011–12 से 2020–21) के आंकड़ों को देखें तो पूरी अर्थव्यवस्था में कृषि और संबंधित क्षेत्रों के योगदान में कोई बड़ा बदलाव नहीं दिखता है। वर्ष 2011–12 में (स्थिर मूल्यों पर) पूरी अर्थव्यवस्था में कृषि एवं संबंधित क्षेत्रों की हिस्सेदारी 18.5 प्रतिशत के आस–पास ठहरती है। वहीं वर्ष 2019–20 में (स्थिर मूल्यों पर) कृषि व संबंधित क्षेत्रों का योगदान 18.3 प्रतिशत रहता है। वित्तीय वर्ष 2020–22 में कोविड महामारी के कारण अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्र लॉकडाउन के कारण बंद हो गए थे तब कृषि व संबंधित क्षेत्रों की भूमिका अर्थव्यवस्था में बढ़ गई थी। नीचे दी गई टेबल–1 को देखें
स्थिर कीमतों (2011–12) पर सकल मूल्य उत्पादन (ग्रॉस वैल्यू आउटपुट— GVO )— इस रिपोर्ट में फसलों, पशुपालन, वानिकी और मछली पालन सहित जलीय कृषि को कृषि एवं संबंधित क्षेत्रों (agriculture and allied sectors) के अंतर्गत रखा है। स्थिर मूल्यों पर उनके GVO को देखें तो— वर्ष 2011–12 में कृषि एवं संबंधित क्षेत्रों में फसल का हिस्सा 62.4% था जो कि धीरे–धीरे घटकर वर्ष 2020–21 ने 54.9 प्रतिशत हो जाता है। यह गिरावट लगातार आ रही है। एक मायने में यह शुभ संकेत भी है; क्योंकि अर्थव्यवस्था में कुल कृषिगत आउटपुट का हिस्सा स्थिर है (संदर्भ के लिए देखें टेबल–1), उसमें बदलाव नहीं आ रहा है। जिसका सामान्य–सा अर्थ है कृषिगत आउटपुट में फसल उत्पादन के अलावा अन्य क्षेत्रों की हिस्सेदारी अधिक गति के साथ बढ़ रही है। नीचे ग्राफ–1 दिया है। जिसमें कृषि एवं संबंधित क्षेत्रों से आने वाले आउटपुट में फसलों की प्रतिशत हिस्सेदारी को दर्शाया गया है।
आँकडों के लिए कृपया नीचे दी गई टेबल-2 को देखें.
माँस के उत्पादन में उछाल स्मरणीय है कि पिछले दशक में कृषि एवं संबंधित क्षेत्रों के कुल उत्पादन में पशुपालन की हिस्सेदारी बढ़ी है। अगर बात करें पशुपालन उपवर्ग की तो इसमें भी माँस के उत्पादन में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2011–12 में स्थिर मूल्यों पर माँस का उत्पादन 96.2 हजार करोड़ का हुआ था जो कि बढ़कर वर्ष 2020–21 में 185.1 हजार करोड़ रुपए का हो जाता है। |
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