दुनियाभर में "सेवानिवृत्ति के बाद आय" के लिए कई प्रणालियाँ उपलब्ध है.
मर्सर और सीएफए नाम की दो संस्थाओं ने 43 देशों की प्रणालियों का अध्ययन किया है. अध्ययन में प्रणाली की मजबूती और कमजोरी को जांचा है.और उसे
सूचकांक का रूप दिया है. इस
सूचकांक का नाम ग्लोबल पेंशन इंडेक्स है जिसमें शामिल कुल 43 देशों में भारत ने 40 वा स्थान हासिल किया है.
- इस सूचकांक के अनुसार डेनमार्क और आइसलैंड का सेवानिवृत्ति के बाद आय तंत्र सबसे बेहतर है.
- दुनिया में अधिकतर देशों की अर्थव्यवस्था बीमार है. महामारी के दौर में इंसान के स्वास्थ्य पर भी खतरे के बादल मंडराते रहते हैं. इसलिए जरूरी है उन प्रणालियों का आलोचनात्मक विश्लेषण करना.
- भारत में "सेवानिवृत्ति के बाद आय" के लिए कमाई पर आधारित तंत्र है. जिसे कर्मचारी भविष्य निधि (EPFO) कहते हैं. जिसमें सरकार, स्वयं और रोजगार देने वाली संस्था योगदान करते हैं.
- भारत में सामाजिक सुरक्षा देने का दायित्व राज्य पर है. इसलिए भारत सरकार ने असंगठित क्षेत्र के लिए भी एक योजना निकाली है. साथ ही राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली भी प्रसिद्धी हासिल कर रही है.
- भारत की इस प्रणाली में सुधार जरूरी है अन्यथा इसकी क्षमता और वहनीयता संदेह के घेरे में आ जाएगी.
- भारत की बात करे तो सूचकांक मान में गिरावट आई है. 2020 में सूचकांक मान 45.7 था जो कम होकर 2021 में 43.3% हो गया. जिसके पीछे का कारण शुद्ध प्रतिस्थापन दर में कमी आना है.
- अंतरराष्ट्रीय संगठन OECD के अनुसार शुद्ध प्रतिस्थापन दर का अर्थ है शुद्ध पेंशन प्राप्ति में सेवानिवृति पूर्व आय का भाग.
- इस सूचकांक में कई उप-सूचकांक में.भारत के संदर्भ में इन उप-सूचकांकों की दर इस प्रकार है.
पर्याप्तता- 35.5 (100 में से)
वहनीयता-41.8
अखंडता-61.0
सूचकांक में भारत को 'C+' श्रेणी वाला देश माना गया है. भारत को सूचकांक में अपना मान बढ़ाने के लिए कुछ उपाय करने चाहिय-
गरीब वृहद्जनों को न्यूनतम आर्थिक गारंटी.
पेंशन सेवा का विस्तार किया जाए.
पेंशन के लिए न्यूनतम आयु निर्धारित की जाए.
निजी पेंशन प्रणालियों पर बेहतर निगरानी की जाए.
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