खास बात
• सिर्फ 10 फीसदी भारतीयों के पास हेल्थ इंश्योरेन्स है और यह बीमा भी उनकी सेहत की जरुरतों के हिसाब से पर्याप्त नहीं है। ***
• अस्पताल में भर्ती भारतीय को अपनी सालाना आमदनी का 58 फीसदी इस मद में व्यय करना पड़ता है।***
• तकरीबन 25 फीसदी भारतीय सिर्फ अस्पताली खर्चे के कारण गरीबी रेखा से नीचे हैं। ***
• सेहत के मद में होने वाले खर्चे का सवाल बड़ा चिन्ताजनक है। सालाना 10 करोड़ लोग सेहत पर होने वाले जेबी खर्च के कारण गरीबी के दुश्च्चक्र में फंसते हैं। लाखों लोगों को कोई चिकित्सीय देखभाल या सेवा हासिल नहीं है।#
• भारत में अब भी बच्चों और व्यस्कों में एनीमिया और कुपोषण की परिघटना व्यापक रुप से मौजूद है। *
• भारत में शिशु मृत्यु दर लगातार घट रही है। साल 1998-99 में इसकी तादाद प्रति हजार जन्म पर 68 थी जो साल 2005-06 में घटकर 57 हो गई। *
• नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-3 में दो बेटियों वाली (मगर पुत्रवंचित) 62 फीसदी मातओं ने कहा कि उन्हें और बच्चे नहीं चाहिए। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-2 में ऐसी माताओं की तादाद 47 फीसदी थी। *
• नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-3(साल 2005-06) में पाया गया कि 20-24 आयुवर्ग की कुल 45 फीसदी महिलाओं का ब्याह 18 साल की वैधानिक उम्र से पहले हुआ। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-2(साल 1998-99) में ऐसी महिलाओं की तादाद 50 फीसदी थी।*
• केरल महाराष्ट्र हिमाचलप्रदेश और तमिलनाडु में देश की कुल आबादी का 18.8 फीसदी हिस्सा निवास करता है। ये राज्य स्वास्थ्य निर्देशांकों के पैमाने पर अपेक्षाकृत ज्यादा विकसित मध्यवर्ती आमदनी वाले देशों मसलन वेनेजुएला, अर्जेटाइना और सऊदी अरब के समतुल्य हैं। **
* नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-3(साल 2005-06) http://www.nfhsindia.org/nfhs3.html
**रिपोर्ट ऑव द इन्डिपेंडेन्ट कमीशन ऑन डेवलपमेंट एंड हेल्थ इन इंडिया(2008)
*** स्वास्थ्य एवं परिवारकल्याण मंत्रालय http://mohfw.nic.in/NRHM/Documents/Mission_Document.pdf
# 2008 वर्ल्ड हेल्य रिपोर्ट प्राइमरी हेल्थ केयर नाऊ मोर दैन एवर, डब्ल्यू एच ओ।
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