सवाल सेहत का

सवाल सेहत का

Share this article Share this article

What's Inside

यूनिसेफ की “स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रन रिपोर्ट–2023” 21 अप्रैल,23 को जारी; जीरो–डोज बच्चों के मामले में भारत को मिला पहला स्थान.पढ़ें रिपोर्ट की मुख्य बातें

रिपोर्ट के लिए कृपया यहाँ, यहाँ और यहाँ क्लिक कीजिए.

आपने शैलेंद्र का लिखा गीत– “नन्हें मुन्ने बच्चे तेरी मुठ्ठी में क्या है...?” सुना होगा! उसमें एक मिसरा है कि हमसे न छुपाओ हमको भी बताओ..आने वाली दुनिया कैसी होगी हमें भी समझाओं..बच्चे जवाब देते हैं— “आने वाली दुनिया में सबके सिर पे ताज होगा...न भूखों की भीड़ होगी न दुखों का राज होगा..बदलेगा ज़माना ये सितारों पे लिखा है”। लेकिन, इस गीत को लिखे करीब 70 साल होने को आए हैं पर स्थिति में बड़ा फेरबदल नहीं हुआ है। इसकी गवाही यूनिसेफ की यह रिपोर्ट भी दे रही है।

कोविड महामारी ने स्थिति को और खराब कर दिया है। वर्ष 2010 में जीरो-डोज बच्चों की संख्या 15.4 मिलियन थी जो कि कोविड के कारण बढ़कर वर्ष 2021 में 18.2 मिलियन हो जाती है। भारत में कोविड महामारी से पहले जीरो-डोज बच्चों की संख्या 13 लाख थी जो कि 2021 में 108 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 27 लाख हो जाती है

जीरो–डोज से तात्पर्य है–ऐसे बच्चे जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है।

तस्वीर में- महामारी के कारण टीकाकरण की रफ़्तार हुई धीमी.

रिपोर्ट की मुख्य बातें—

  • पाँच में से 1 बच्चा जीरो–डोज का शिकार है।
  • पाँच में से 1 बच्चे के पास ‘खसरा’ जैसी जानलेवा (बाल्यावस्था में) बीमारियों से बचाव का कोई उपाय नहीं है।
  • 8 में से करीब 7 बच्चियों को ह्यूमन पोपिलोमा वायरस से बचाव के लिए कोई टिका नहीं दिया गया है।

 

टीकाकरण का महत्त्व

  • हर साल, टीकाकरण के कारण 4.4 मिलियन इंसानों की जान बच जाती है। अगर टीकाकरण के लक्ष्यों को प्राप्त करने की पूरी कोशिश की जाती है तो वर्ष 2030 तक यह संख्या बढ़कर 5.8 मिलियन हो जाएगी।

टीकाकरण के रास्ते में कोविड बना रोड़ा

यूनिसेफ के अनुसार, वर्ष 2019 से 2021 के बीच लगभग 67 मिलियन बच्चे पूरी तरह से या आंशिक रूप से टीकाकरण से वंचित रहे।

48 मिलियन पूरी तरह से वंचना के शिकार हुए।

तसवीर में— जिन्हें वेक्सिन डोज नहीं मिला।

  • वर्ष 2019 में जीरो डोज वाले बच्चों को संख्या 13.3 मिलियन थी; वो वर्ष 2021 में बढ़कर 18.2 मिलियन हो जाती है।
  • आंशिक टीकाकरण प्राप्त बच्चों की संख्या वर्ष 2019 में 5.9 मिलियन थी। जो कि बढ़कर वर्ष 2021 में 6.8 मिलियन हो जाती है।

 

कम साक्षर या असाक्षर महिलाओं के बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हुए।  23.5 फिसद जीरो-डोज वाले बच्चों की माताएँ असाक्षर थीं.
13.1%  बच्चों की माताओं ने प्राथमिक स्तर तक की तालीम हासिल की हुई थी

 

 


 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close