
सतत् विकास लक्ष्य


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प्रिय पाठक, नॉलेज गेटवे में आपका स्वागत है।अब अगर आपका सवाल है कि ये नॉलेज गेटवे है क्या? तो हमारा जवाब होगा कि दरअसल हम एक भंडारगृह बना रहे हैं; सूचनाओं का भंडारगृह। यहाँ आपकी भेंट किसी ‘खास विषय’ से जुड़ी ज़रूरी सूचनाओं से हो जाएगी। आपकी सहूलियत के लिए हमने नॉलेज गेटवे को कई खण्डों–उपखण्डों में बाँटा है। ये ‘सतत् विकास लक्ष्य’ नामक उपखंड है।
खास बातें—
पहले वैश्विक युद्ध के कारण मची अव्यवस्था का निदान खोजने के लिए ‘लीग ऑफ़ नेशन’ की स्थापना की गई। लेकिन, तीन दशकों के भीतर ही दुनिया को फिर से एक युद्ध का सामना करना पड़ा। दूसरे महायुद्ध के बाद ‘संयुक्त राष्ट्र संघ’ नाम से इसका पुनर्गठन किया जाता है। जहाँ इसके लिए कुछ उद्देश्य भी तय किए जाते हैं जैसे कि अंतरराष्ट्रीय कानून का निर्माण करना, अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करना, आर्थिक विकास को प्रगाढ़ करना और मानव-अधिकारों की पैरवी करना आदि–आदि। वक्त बीतता गया लेकिन, संयुक्त राष्ट्र संघ कोई बड़ा कदम नहीं उठा पाया। दुनिया की दहलीज पर बड़ी–बड़ी समस्याओं ने दस्तक दे रखी थी। चहुँओर फैली गरीबी, शिशु व मातृ मृत्यु दर की ऊँची दरें, गरीब व अमीर के बीच की खाई और एचआईवी एड्स जैसे पहलुओं ने ज़रूरी कदम उठाने के लिए प्रेरित किया। सन् 2000 में इन सब मामलों को ध्यान में रखते हुए बड़ा कदम उठाया गया। संयुक्त राष्ट्र संघ के बैनर तले विश्व समुदाय के नेताओं ने एमडीजी (सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों ) शुरुआत की। एमडीजी के अधीन सात लक्ष्यों को रखा गया, जिन्हें शामिल होने वाले सभी देशों को वर्ष 2015 तक हासिल करना था। वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की 70वीं बैठक अमेरिका के न्यूयार्क शहर में संपन्न हुई। जिसमें भारत सहित 193 देशों के प्रतिनिधियों ने शिरकत की। इस बैठक में प्रतिनिधियों के समक्ष ‘2030 सतत् विकास हेतु एजेंडा’ रखा गया। जिसे अंगीकृत कर दिया गया। इस एजेंडे में 17 विकास लक्ष्यों; 169 उपलक्ष्यों का जिक्र था जिसे आज हम सतत् विकास लक्ष्यों के नाम से जानते हैं। वर्ष 2015 में सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों की अवधि पूरी हो गई थी। वर्ष 2016 से उनकी जगह सतत् विकास लक्ष्यों ने ले ली। अब अगर आपका सवाल है कि सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों का परिणाम कैसा रहा? तो इनके प्रतिफल पर अलग-अलग संस्थानों की ओर से कई दस्तावेज जारी किए हैं; जिसका मोटा-मोटा सार यह है कि - शिशु मृत्यु दर में कमी देखी गई, एचआईवी संक्रमण के नए मामलों में गिरावट पाई गई, तपेदिक के मामलों में भी गिरावट देखी गई और पेयजल के स्रोतों तक लोगों की पहुँच में बढ़ोतरी दर्ज की गई। कृपया यहाँ, यहाँ, यहाँ और यहाँ क्लिक कीजिए। गौरतलब है कि सतत् विकास लक्ष्यों के आने से सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों के माध्यम से शुरू की गई यात्रा पर कोई पूर्णविराम नहीं लगा था; बल्कि यात्रा को और व्यापक रूप (नए मुद्दों का समावेशन कर) दिया गया। इसी का सबूत है कि सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों का अधिकांश हिस्सा आपको सतत् विकास लक्ष्यों में नज़र आ जाएगा। साथ ही, कई अन्य विषयों को भी जोड़ा गया है जोकि समय की ज़रूरतों का प्रतिफल है।
सतत् विकास लक्ष्य
सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों में पहला लक्ष्य भूख और गरीबी के खात्मे पर था; सतत् विकास लक्ष्यों में यह दो अलग लक्ष्यों का रूप ले लेता है। सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों में स्वास्थ्य के मुद्दे पर तीन लक्ष्य थे; जैसे शिशु मृत्यु दर में गिरावट लाने के लिए, मातृ मृत्यु दर में आदि। सतत् विकास लक्ष्यों में इसे व्यापकता के साथ स्वीकार किया जैसे शिक्षा के मामले में किया था। वहीं आर्थिक असमानता को कम करने, पर्यावरण से जुड़े लक्ष्यों को भी प्रमुखता दी है। सही मायनों में लक्ष्यों का यह पुंज सतत् विकास की धरना को धरातल पर उतारता है। नीचे लक्ष्यों का विवरण दर्ज किया गया है। नीति आयोग द्वारा सतत् विकास लक्ष्यों पर जारी दस्तावेजों को सिलसिलेवार ढंग से प्राप्त करें. SDG India Index Report 2020-21, रिपोर्ट के लिए यहाँ क्लिक करें. ---------------- संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से प्रति वर्ष सतत् विकास लक्ष्यों पर जारी की जाने वाली रिपोर्ट - The Sustainable Development Goals Report 2022 रिपोर्ट के लिए यहाँ क्लिक करें. लक्ष्य- 1, गरीबी का खात्मा ('नो पावर्टी') सभी क्षेत्रों में व्याप्त हर तरह की गरीबी का उन्मूलन.
लक्ष्य-2 भुखमरी का खात्मा ('नो हंगर') भुखमरी समाप्त करना, खाद्य सुरक्षा और बेहतर पोषण प्राप्त करना और स्थायी कृषि को बढ़ावा देना।
लक्ष्य-3, अच्छा स्वास्थ्य और जीवनस्तर सभी के लिए स्वस्थ जीवन और सभी के जीवन स्तर में सुधार लाना.
लक्ष्य-4, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा समावेशी और न्यायपूर्ण-गुणवत्ता युक्त शिक्षा सुनिश्चित करना; सभी के लिए आजीवन सीखने के अवसरों को बढ़ावा देना.
लक्ष्य-5, लैंगिक समानता लैंगिक समानता प्राप्त करना और सभी महिलाओं और लड़कियों के सशक्तिकरण हेतु प्रयास करना.
लक्ष्य-6, साफ़ पानी और स्वच्छता सभी के लिए स्वच्छ पानी और स्वच्छता की उपलब्धता और उसका संधारणीय प्रबंधन सुनिश्चित करना.
लक्ष्य-7,सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा सभी के लिए सस्ती, भरोसेमंद, टिकाऊ और नवीन ऊर्जा तक पहुँच सुनिश्चित करना.
लक्ष्य-8, गरिमापूर्ण काम और आर्थिक संवृद्धि हरेक के लिए निरंतर, समावेशी और टिकाऊ आर्थिक विकास को बढ़ावा देना तथा साथ ही, सभी के लिए गरिमापूर्ण-स्थाई और सृजनात्मक रोजगार को बढ़ावा देना.
लक्ष्य-9, उद्योग, नवाचार और बुनियादी ढाँचे का विकास टिकाऊ बुनियादी ढाँचे का निर्माण करना, सतत् व समावेशी औद्योगिकीकरण को प्रोत्साहित करना, नवाचार को बढ़ावा देना.
लक्ष्य-10, असमानता में कमी लाना. देशों के भीतर और देशों के बीच मौजूद असमानता को कम करना.
लक्ष्य-11, धारणीय शहरों व समुदायों का निर्माण शहरों और मानवीय बस्तियों को समावेशी, सुरक्षित, टिकाऊ और संधारणीय रूप देना.
लक्ष्य-12, जिम्मेदारीपूर्ण उपभोग व उत्पादन उत्पादन और उपभोग के पैटर्न को टिकाऊ बनाना.
लक्ष्य-13, जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभावों से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई करें.
लक्ष्य-14, पानी में जीवन सतत् विकास के लिए महासागरों, समुद्रों और समुद्री संसाधनों का संरक्षण और सतत् उपयोग.
लक्ष्य-15, भूमि पर जीवन स्थलीय पारिस्थितिक तंत्रों के सतत उपयोग को सुरक्षित, पुनर्स्थापित और बढ़ावा देना, वनों का सतत् प्रबंधन, मरुस्थलीकरण का मुकाबला करना और भूमि क्षरण पर लगाम लगाना और जैव विविधता के नुकसान को रोकना।
लक्ष्य-16, शांति, न्याय और मजबूत संस्थाएँ सतत् विकास के लिए शांतिपूर्ण और समावेशी समाज को बढ़ावा देना, न्याय तक सभी की पहुँच सुनिश्चित करना और सभी स्तरों पर प्रभावी, जवाबदेह और समावेशी संस्थानों का निर्माण करना
लक्ष्य-17, लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए साझेदारी सतत् विकास के लिए वैश्विक भागीदारी को पुनर्जीवित करना और कार्यान्वयन के साधनों को मजबूत बनाना.
सहस्राब्दी विकास लक्ष्यसहस्राब्दी विकास लक्ष्यों का विवरण निम्नलिखित है-
संकल्प 1:अति दरिद्रता और भुखमरी का उन्मूलन लक्ष्य-जिन लोगों की आमदनी रोजाना एक डॉलर से कम है उनकी संख्या 1990 से 2015 के बीच आधी करना। साल 1990 से 2015 के बीच विश्व में भुखमरी के शिकार लोगों की तादाद में 50 फीसदी की कमी लाना।
संकल्प 2 : सबको प्राथमिक शिक्षा हासिल हो। लक्ष्य-इस बात को सुनिश्चित करना कि दुनिया में हर बच्चे को(लड़का हो या लड़की) 2015 तक प्राथमिक शिक्षा हासिल हो जाये।
संकल्प 3- स्त्री-पुरूषों के बीच बराबरी को बढ़ावा देना और महिलाओं का सशक्तीकरण करना लक्ष्य- प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा से लैंगिक गैरबराबरी को साल 2005 तक समाप्त करना और शिक्षा के सभी स्तरों पर इस गैरबराबरी को साल 2015 तक खत्म करना।
संकल्प 4- बाल-मृत्यु की संख्या में कमी करना। लक्ष्य-शून्य से पाँच साल तक की उम्र के बच्चों की मृत्यु की घटना में 1990 से 2015 के बीच की अवधि में दो तिहाई की कमी लाना।
संकल्प 5- जननि-स्वास्थ्य में अपेक्षित सुधार करना लक्ष्य-साल 1990 से 2015 के बीच मातृ-मृत्यु दर में तीन चौथाई की कमी लाना और साल 2015 तक प्रजनन-स्वास्थ्य से संबंधित सुविधाओं को हरेक व्यक्ति तक पहुंचाना
संकल्प 6- एचआईवी-एडस्,मलेरिया और अन्य बीमारियों की रोकथाम। लक्ष्य- साल 2015 तक एचआईवी एडस् के प्रसार पर रोक लगाना और इसके बाद एचआईवी-एडस् की घटना का उन्मूलन।
संकल्प 7 - पर्यावरण के टिकाऊपन को सुनिश्चत करना। जैव विविधता के नाश को कम करना और 2010 तक जैव विविधता के नाश की दर में सुनिश्चित कमी लाना।जो लोग स्वच्छ पेयजल और साफ-सफाई की बुनियादी सुविधा से वंचित हैं उनकी संख्या 2015 तक कम करके आधी करना। साल 2020 तक कम से कम 10 करोड़ झुग्गीवासी जनता की रहन-सहन स्थिति में उल्लेखनीय सुधार करना।
संकल्प-8-विकास के लिए वैश्विक स्तर पर साझेदारी करना। लक्ष्य-सर्वाधिक पिछड़े देशों,चारो तरफ भूमि से घिरे देशों और छोटे द्वीपों में बसे विकासशील देशों की विशेष जरुरतों को ध्यान में रखते हुए व्यवस्था करना। बराबरी पर आधारित और कानून सम्मत उदार वित्तीय और कारोबारी व्यवस्था करना। विकासशील देशों की कर्जदारी का व्यापक स्तर पर समाधान सुझाना। औषधि निर्माता कंपनियों के सहयोग से विकासशील मुल्कों में जरुरी किस्म की दवाइयां उपलब्ध कराना।
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Team IM4Change.org
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