'बीते एक साल में 20 लोगों की भुखमरी से मौत, सभी वंचित तबके के'-- रोजी रोटी अधिकार अभियान
उत्तर कर्नाटक के नारायण, झारखंड के रूपलाल मरांडी, बरेली की सफीना अशफाक और ओड़ीशा के कुंदरु नाग के बीच क्या समानता हो सकती है ? शायद, कोई नहीं- सिवाय इसके कि ये सभी समाज के वंचित वर्ग के हैं और इन सबकी मौत पिछले एक साल के दौरान भुखमरी के कारण हुई तथा इन सभी को एक ना एक कारण से पीडीएस से अनाज नहीं मिल सका.(पिछले एक साल के दौरान भुखमरी से हुई मौतों की सूची के लिए यहां क्लिक करें)
दलित समुदाय के नारायण की मौत 7 जुलाई 2017 को हुई. उन्हें छः महीनों तक राशन नहीं मिला क्योंकि उनका राशन कार्ड आधार से जुड़े न होने के कारण रद्द हो गया था. आदिवासी समुदाय के रुपलाल मरांडी की मौत 23 अक्तूबर 2017 को हुई. परिवार को दो महीनों का राशन नहीं मिला क्योंकि न तो रूपलाल और न ही उसकी बेटी राशन दुकान में आधार-आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन में सफ़ल रहे.
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(पोस्ट में इस्तेमाल की गई तस्वीर साभार सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक राजेन्द्र शर्मा जी की फेसबुक वॉल से. राजेन्द्र शर्मा 9 मई 2019 के अपने फेसबुक पोस्ट में लिखते हैं-- यह नत्थू का परिवार है.नत्थू इतवार को मारा गया.2 महीने से कोई काम नहीं मिला था। पिछले महीने राशन कार्ड से जो गल्ला मिला था उससे दो अठवारा काम चला पिछले सोमवार वह भी खत्म हो गया तो 4 सेर भाई से मांग लाया । 4 दिन पहले वहभी। दोनों बड़े बेटों जिसमे एक 17 साल का था दूसरा 13 का, मजदूरी के लिए नासिक भेज दिया था। शुक्रवार को पता चला कि सरकारी राशन नरैनी में मिलेगा तो खाली पेट साइकिल से निकल पड़ा । 46 डिग्री में यूँ तो उसका कोई कुछ न बिगाड़ पाता लेकिन 3 दिन से खाली पेट में कड़ी प्यास के पानी ने पता नहीं क्या किया कि नत्थू न राशन पैकेट के पास जा सका और न ही घर लौट सका. मृत नत्थू की 37 साल की पत्नी विनीता को लगता है कि पोस्टमार्टम कोई इलाज होता होगा । बताती है कि किसी ने पोस्टमार्टम भी न कराया नहीं तो शायद बच जाते.माँ के आसपास सभी 6 बच्चे भयभीत बैठे हैं । हर आने जाने वाले को कौतुहल से देख रहे हैं। शहर के नामी सरकारी डॉक्टरों की टीम आई है । सबकी लम्बाई नाप रही है। सबका वजन लिया जा रहा है। डॉक्टर कह रहा है कि सब लोग बाँदा आना तो जिला अस्पताल के 11 नम्बर कमरे में खून टेस्ट होगा। बच्चे डरे से हैं कि हमारे खून में अब क्या होने वाला है, वो डॉक्टरों से हां या ना कुछ नहीं बोलते बल्कि उनका चाचा हाथ जोड़ कर उन्हें विनम्रता से विदा करता है।) |
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