मध्यप्रदेश में 55 हजार से अधिक ग्रामीणों पर विस्थापन का खतरा

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published Published on Jul 7, 2020   modified Modified on Jul 7, 2020

-डाउन टू अर्थ,

पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन, दिल्ली और नर्मदा बेसिन प्रोजेक्टस कम्पनी लिमिटेड के बीच हुए अनुबंध के बाद 99 गांवों के लगभग 55 हजार लोगों पर विस्थापन का खतरा बढ़ गया है। इनमें लगभग 50 गांव आदिवासियों के हैं, जहां लगभग 30 हजार आदिवासी रह रहे हैं। 

दरअसल, पिछले दिनों पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन, दिल्ली और नर्मदा बेसिन प्रोजेक्टस कम्पनी लिमिटेड, मध्यप्रदेश के बीच 22 हजार करोड़ का अनुबंध हुआ है। इसमें नर्मदा घाटी की कुल 12 परियोजनाएं शामिल हैं। इनमें चार जल विद्युत और 8 बहुद्देश्यीय (जल विद्युत और सिंचाई दोनों) योजनाएं शामिल हैं। इन परियोजनाओं से राज्य को 225 मेगावाट बिजली प्राप्त होगी।

अब तक राज्य सरकार 4 परियोजनाओं की डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) बनाई है। इन 4 परियोजनाओं की वजह से लगभग 55 हजार ग्रामीण प्रभावित होंगे, जबकि अभी आठ परियोजनाओं की डीपीआर तैयार नहीं हुई, जिसका असर बाद में दिखाई देगा।

ध्यान रहे कि मध्य प्रदेश में नर्मदा घाटी परियोजना 1980 के दशक से शुरू हुई थी, जिसके अंतर्गत 29 बड़े बांधों को बनाया जाना था। अब तक इनमें से आठ का निर्माण हो चुका है। और इनमें से लगभग 625 गांव के 96,500 परिवार विस्थापित हुए यानी लगभग 4,82,500 ग्रामीण अब तक विस्थापित हो चुके हैं।

यहां सबसे बड़ा सवाल है कि राज्य सरकार अब तक इन हजारों परिवारों का तो ठीक से पुनर्वास कर नहीं पाई है, ऐसे में नए 55 हजार और ग्रामीणों को विस्थापित कर कैसे उनका पुनर्वास होगा।

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


अनिल अश्वनी, https://www.downtoearth.org.in/hindistory/river/dam/displacement-risk-on-more-than-55-thousand-villagers-in-madhya-pradesh-72122


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