न्यायपालिका के कामकाज में पारदर्शिता के लिए क्या उसे सूचना के अधिकार कानून के दायरे में आना चाहिए

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published Published on Nov 13, 2019   modified Modified on Nov 13, 2019
सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाने के बाद से ही न्यायपालिका के प्रशासनिक कार्यो में भी पारदर्शिता का मुद्दा लगातार उठ रहा है. न्यायपालिका के कामकाज में पारदर्शिता लाने के लगातार प्रयास भी हो रहे हैं. इसके बावजूद एक तथ्य यह भी है कि सूचना के अधिकार कानून का ज़रूरत से ज़्यादा विस्तार करने से न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर भी असर पड़ सकता है. सूचना क्रांति और सोशल मीडिया के इस दौर में न्यायपालिका की स्वतंत्रता और जानकारी प्राप्त करने, बोलने तथा अभिव्यक्ति की आज़ादी के मौलिक अधिकारों के बीच तर्कसंगत संतुलन बनाने की आवश्यकता है.

न्यायपालिका के कामकाज में पारदर्शिता की मांग एक सीमा तक तो सही हो सकती है. लेकिन न्यायाधीशों की नियुक्ति, पदोन्नति और स्थानांतरण के संबंध में सारी प्रक्रिया को सूचना के कानून के दायरे में लाने की मांग तर्कसंगत नहीं है. हां, न्यायाधीशों की पदोन्नति और उनके तबादले की प्रक्रिया या इस बारे में लिये गये निर्णय के आधारों के सार को पारदर्शिता के दायरे में लाना सर्वथा उचित होगा.

इस कथा को विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

​अनूप भटनागर, The Print https://hindi.theprint.in/opinion/will-process-of-recommendations-for-appointment-and-promotion-of-judges-come-under-right-to-information-act/97186/


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