मोंगाबे हिंदी, 27 सितम्बर बिछड़ी गांव की सड़कों पर चहलकदमी करते हुए आपको ज्यादातर घरों के बाहर रखे या खिड़कियों पर लटके हुए सभी आकार के पानी के कंटेनर दिखाई देंगे। ऐसा ही एक घर गांव में रहने वाली 50 साल की आदिवासी महिला लहरी देवी का है। उनका घर आधा बना हुआ है। टिन के शेड से ढका हुआ है। लहरी देवी का घर राजस्थान के इस गांव में प्रवेश...
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सौर ऊर्जा वाले करघों से बदल रही है भारत के रेशम बुनकरों की ज़िंदगी
द थर्ड पोल , 27 सितम्बर असम के कोकराझार जिले के भौरागवाजा गांव में बुधरी गोयारी, अपने आंगन में ‘एरी’ रेशम के कोकून की रीलिंग में व्यस्त हैं। रेशम के कोकून के अपने कंटेनर के पास, गोयारी, सौर ऊर्जा से चलने वाली रीलिंग मशीन के साथ बैठी हैं। बोडो जनजाति की गोयारी, भारत के आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों की उन 20,000 महिलाओं में से एक हैं, जिनके पास दिल्ली स्थित एक सामाजिक...
More »किसान का 'जेंडर' ?
किसानों के ऊपर जब भी बात की जाती है तब उस बातचीत का दायरा इतना संकीर्ण क्यों हो जाता है ? सिर्फ ‘पुरुष’ किसान को ही किसानों का एकमात्र प्रतिनिधि मान लिया जाता है। ऐसा क्यों ? तमाम अखबारों से लेकर टीवी चैनलों के चित्रपटों पर ‘पुरुष’ किसान ही पूरे कृषक समुदाय का प्रतिनिधित्व कर रहा होता है। क्या इस देश की खेती–बाड़ी में महिलाओं का कोई योगदान नहीं है...
More »मैंग्रोव रोपाई के लिए प्लास्टिक की जगह लेते ताड़ के पत्तों से बने नर्सरी बैग
मोंगाबे हिंदी, 29 अगस्त फूस से बनी अपनी झोपड़ी के पास बैठकर, अचिक्कन्नु मछली पकड़ने के टूटे हुए जाल से बने बाड़ पर रखे ताड़ के सूखे पत्ते (बोरासस फ्लेबेलिफ़र) की तरफ हाथ बढ़ाती हैं। वह पत्तियों को बराबर हिस्सों में काटती हैं। बार-बार बुखार से जूझने के बावजूद, वह ताड़ के सूखे पत्तों से 40 मिनट में एक नर्सरी बैग तैयार कर सकती हैं। तमिलनाडु के तंजावुर जिले के एक...
More »भारत में सिर्फ नौनिहाल ही नहीं बुजुर्गों को भी प्रभावित कर रहा है कुपोषण
डाउन टू अर्थ, 25 अगस्त भारत में कुपोषण सिर्फ बच्चों को ही नहीं बुजुर्गों को भी प्रभावित कर रहा, जो उनके स्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्या बन सकता है। इस बारे में इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट फॉर पापुलेशन साइंसेज से जुड़े शोधकर्ताओं द्वारा किए नए अध्ययन से पता चला है कि 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के करीब 28 फीसदी पुरुषों और 25 फीसदी महिलाओं का वजन सामान्य से कम है। वहीं इसी आयु...
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