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चाय बागान की महिला मजदूरों के लिए सर्पदंश बड़ा खतरा, हर साल होती हैं कई मौत

मोंगाबे हिंदी, 9 अक्टूबर पाही भूमिज उस दिन को याद करके कांप उठती हैं। वह कहती हैं कि मौत से बच निकलने के लिए वह ऊपर वाले की शुक्रगुजार है। भूमिज असम के शिवसागर जिले के एक गांव में रहती हैं। इस साल पांच मई को वह अपने गांव से सटे एक चाय बागान में काम करने गई। 16 साल की भूमिज को चाय के पत्ते तोड़ने के लिए अस्थायी रूप से...

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पिछले 20 सालों में सांप डसने से हुई 10 लाख से अधिक भारतीयों की मौत

हाल ही में, ‘ट्रेंडस् इन स्नेकबाइट मोर्टिलिटी इन इंडिया फ्रॉम 2000 टू 2019’ नामक एक शोध लेख प्रकाशित हुआ है, जोकि राष्ट्रीय स्तर पर, भारत में सांप के डसने मृत्यु दर के रुझानों से अवगत कराता है. शोध लेख के मुताबिक, जहरीले सांपों के डसने के कारण पिछले दो दशकों में 10 लाख से अधिक भारतीयों की मौत हुई है. ओपन एक्सेस जर्नल elifesciences.org में प्रकाशित इस शोध-आधारित अध्ययन में...

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सुकमा मुठभेड़ में मारे गये 17 जवानों में से 16 छत्तीसगढ़ के ही आदिवासी हैं!

-मीडियाविजिल, देश भर में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या अब तक कुल 9 है लेकिन छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में एल्मागुड़ा के करीब शनिवार दोपहर को माओवादियों के साथ मुठभेड़ में मारे गये पुलिसवालों की संख्या 17 है। इन मौतों पर कहीं चर्चा नहीं है। विडम्बना है कि इन 17 में से 16 लाशें आदिवासियों की हैं और सभी छत्तीसगढ़ के रहने वाले निचले दरजे के पुलिसकर्मी हैं। शुरुआती रिपोर्टों...

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झारखण्ड: न्याय से वंचित है डोली मजदूर मोतीलाल बास्के का परिवार

‘मेरे पति की हत्या 9 जून 2017 को सीआरपीएफ कोबरा ने 11 गोली मारकर कर दी और उन्हें एक दुर्दांत माओवादी घोषित कर दिया। जबकि वे पारसनाथ पर्वत पर चावल-दाल का छोटा सा दूकान चलाते थे और जैन धर्मावलम्बिायों को पर्वत वंदना कराने के लिए डोली मजदूर का काम भी करते थे। उनकी हत्या के बाद मेरे घर पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के शिबू सोरेन, हेमंत सोरेन, बाबूलाल मरांडी समेत...

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कर्नाटक के विनाश की नई राह-- रामचंद्र गुहा

यह 1989 की बात है जब मैं शिवराम कारंथ से उनके दक्षिण कर्नाटक स्थित गांव सालिग्राम में मिला था। आधुनिक कन्नड़ उपन्यास के जनक, यक्षगान जैसे प्राचीन नृत्य नाटक का पुनर्पाठ प्रस्तुत करने वाले, विधवा विवाह और स्त्री शिक्षा को बढ़ावा देने वाले शिवराम कारंथ उन दिनों अपने प्यारे पश्चिमी घाटों को विनाश से बचाने की मुहिम में जुटे थे। 80 साल की उम्र में भी वे खासे सक्रिय रहकर...

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