स्विस बैंक के खाताधारकों पर सख़्ती बढ़ी, करीब 50 भारतीयों को मिलेगा नोटिस
नई दिल्ली/बर्न: स्विट्जरलैंड के बैंकों में अघोषित खाते रखने वाले भारतीयों के खिलाफ दोनों देशों की सरकारों ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. स्विट्जरलैंड के अधिकारी इस सिलसिले में कम से कम 50 भारतीय लोगों की बैंक संबंधी सूचनाएं भारतीय अधिकारियों को सौंपने की प्रक्रिया में लगे हैं.
ऐसे लोगों में ज्यादातर जमीन-जायदाद , वित्तीय सेवा, प्रौद्योगिकी, दूरसंचार, पेंट, घरेलू साज-सज्जा, कपड़ा, इंजीनियरिंग सामान और रत्न एवं आभूषण क्षेत्र के कारोबार से जुड़े कारोबारी और कंपनियां शामिल हैं. इनमें से कुछ डमी कंपनियां भी हो सकती हैं. यह जानकारी दोनों देशों के बीच आपसी प्रशासनिक सहायता की प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों ने यह जानकारी दी है. स्विट्जरलैंड की सरकार कर चोरों की पनाहगाह की अपने देश की छवि को बदलने के लिए कुछ वर्षों से कई सुधार किए हैं. वह इस संबंध में समझौते के तहत विभिन्न देशों के साथ संदिग्ध व्यक्तियों संबंधी बैंकिंग सूचनाओं को साझा करने में की व्यवस्था में जुड़ गयी है. स्विट्जरलैंड ने हल में कुछ देशों के साथ सूचनाएं साझा करने की प्रक्रिया तेज कर दी है. पिछले कुछ सप्ताह के दौरान भारत से संबंधित मामलों में सूचनाओं के आदान प्रदान की प्रक्रिया में अधिक तेजी आयी है. भारत में कालेधन का मामला राजनीतिक तौर पर संवेदनशील है. स्विट्जरलैंड के अधिकारियों ने मार्च से अब तक कम से कम 50 भारतीय खाताधारकों को नोटिस जारी कर उनकी सूचना भारत सरकार को देने से पहले उन्हें उसके खिलाफ अपील का एक अंतिम मौका दिया है. स्विटजरलैंड उसके बैंकों में खाते रखने वाले ग्राहकों की गोपनीयता बनाये रखने को लेकर एक बड़े वैश्विक वित्तीय केंद्र के रूप में जाना जाता रहा है. लेकिन कर चोरी के मामले में वैश्विक स्तर पर समझौते के बाद गोपनीयता की यह दीवार अब नहीं रही. खाताधारकों की सूचनाओं को साझा करने को लेकर भारत सरकार के साथ उसने समझौता किया है. अन्य देशों के साथ भी ऐसे समझौते किये गये हैं. द वायर हिन्दी पर प्रकाशित इस कथा को विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करे |
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